KAVI SHAYAR (Nishit Lodha)
ये शब्दों के सौदागर
Friday 22 May 2020
Thursday 23 April 2020
कुछ तेरी कुछ मेरी बात करते है
कुछ तेरी कुछ मेरी बात करते है
बीत जाये ये रात,ऐसी कोई बात करते है ,
चाँद के नीचे बैठे है,शायद इसलिए याद करते है ,
फिर एक मुलाकात करते है ,
इस दरमियान ,चलो थोड़ी, तुम्हारी-थोड़ी मेरी बात करते है ,
मिलते है भीड़ में फिर एक दफा ,
मुद्दतो बाद ,
में ढूंढूगा मुसाफिर बन तुम्हे ,
हज़ार चहेरो में तुझे अपनी मंज़िल बना ,
ऐसी कोई मुलकात फिर करते है,
एक दफा फिर थोड़ी मेरी ,थोड़ी तेरी बात करते है,
ले लेते है फिर एक टैक्सी ,और चल देते है ,वही समुन्दर की और ,
तुम रास्ते देखना ,और में, बस तुम्हे ,
मुस्कुराते ,ऐसे जज़्बात हम फिर बुनते है ,
चलो ना , एक दफा फिर, थोड़ी मेरी-थोड़ी तेरी बात करते है ,
लेहरो के पास ,पत्थर पे बैठ के ,
हम हाथ पकड़ ,छूठ न जाये ,ऐसा एक साथ फिर बुनते है ,
करोड़ो वाली इस आबादी में जो मेने थामा है साथ तुम्हारा,
उस चहेरे से एक बात कहु, तो बस ,
एक दफा, फिर मुलाकात करते है ,
कुछ मेरी कुछ तेरी बात करते है ,
यादें बितायी नहीं कुछ ख़ास हमने ,
में जानता हु,पर उन सीढ़ियों के कदमो को,कौन समझाए,
जो इंतज़ार करते है ,वो अब भी बुलाते है हमे,
समुन्दर किनारे ,
पूछते है ,हाल ऐ दिल मेरा ,
चलो चलते है न ,फिर बतयाने को,
बतायेगे, इन कुछ सालो की कहानी ,
वक़्त मिले तो चले आना में इंतज़ार करुगा वही ,
बस कहने को वो एक बात ,
एक दफा फिर मुलाकात करते है ,
कुछ तेरी कुछ मेरी बात करते है ,
मुलाकातों की बात है तो,सोचता हु ,
कोई यादें ख़ास अब तुम्हे याद न होगी ,
तो फिर, वो ही घंटो फोन पे बात करते है ,
मैसेज का इंतज़ार तो रहेगा आज भी तुम्हारा ,
करोगे जब कभी ,तो कहुगा , एक मुलाकात करते है ,
कहते है ,कुछ तेरी कुछ मेरी बात करते है ,
अब फिर कभी वक़्त मिले तो लौट आना ,
में इंतज़ार करुगा ,वही ,जहा सबसे पहेली मुलकात करते है ,
तुम फ़िक्र न करना में पहचान लूंगा तुम्हे ,
बस ,तुम वो चस्मा , आँखों में काजल ,और वो बचपने से
भरी हस्सी साथ ले आना ,
कहने को ,"निश "
की चल एक कदम फिर साथ चलते है ,
कुछ तेरी कुछ मेरी बात करते है।
निशित योगेंद्र लोढ़ा
Friday 3 April 2020
Monday 30 March 2020
Wednesday 11 March 2020
मुक़म्मल ऐ ज़िन्दगी
मुकम्मल इतनी भी कहा हुई ज़िन्दगी,
की दर्द अपना चंद पन्नो पे उतार दु,
अभी तो शुरुआत है ऐ-ज़िन्दगी,
चल कुछ पल तेरे और जी कर निकाल दु।।
निश
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