Saturday 2 January 2016

मिली मुस्कान

                                 मिली मुस्कान 
हलकी रेशम चाँद की चांदनी में तारों की चमक' फिर आगयी,
आसमान की इन हवाओ में बहती ये रात फिर कहती हमसे कुछ न जाने फिर आगयी ,
बेहटे है हम युही रात के अँधेरे में महफ़िल सजाये उनकी याद में ,
पर चहेरा पे हस्सी और होटों पे वही मुस्कान लगता है उनसे मिली और फिर आगयी।

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