एक पत्रकार
लिख दिया सच मैंने जान अथेली पर रख ,
क्या गुनाह किया मैंने ऐ खुदा तू बता ,
कहते है दुनिया सच की बुनियाद पे टिक्की है ,
तो क्या गलत किया लिख सच मैंने ऐ-इंसान तू बता ,
आज हर कोई झूठ का सहारा, पैसो का दम,बारूद की ताकत जेब में लिए फिरता है,
मैंने सचाई की कलम रख ली तोह क्या गुनाह किया मैंने ऐ ज़मीर अब तू बता,
आज बिना डरे मौत का कफ़न सर पे बांधे पत्रकार सचाई देख- व -लिखता है ,
तो क्यों उसे डराते व मारते है,ऐ समाज ये अब तू बता.
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