मुस्कुराये हुए मुझे मुद्दत बीत गयी,
मुस्कुराये हुए मुझे मुद्दत बीत गयी,
मोहब्ब्त न उनको हुई मुझसे चाहत न मुझे हुई उनसे,
मोहब्ब्त न उनको हुई मुझसे चाहत न मुझे हुई उनसे,
न जाने कैसी कशमकश में था ये दिल ,
आशिकी न उन्हें हुई मुझसे ,
इबादत न मुझे हुई उनसे,
इबादत न मुझे हुई उनसे,
न जाने कैसी कशमकश में था ये दिल,
लिखता रहा प्यार में ख़त उनको,
जवाब न मिला कभी उनसे,साथ न जुड़ा उनका मुझसे,
न जाने कैसी कशमकश में था ये दिल,
लोग मुझे युही उनके नाम पे बदनाम करते रहे हर पल,
मुस्कुराता रहा में हर लब और इतराती रही वो हर दम,
मुस्कुराता रहा में हर लब और इतराती रही वो हर दम,
न जाने कैसी कशमकश में था ये दिल, न जाने।।
कवी -निशित लोढ़ा
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