Sunday 28 February 2016

मुझमे में हु कही...

मुझमे में हु कही... 

आईना में अक्सर देखा खुद को जब मैंने कही ,
चहेरे पे चहेरा हर दम दीखता है ,

वो मासूमियत सा खिलखिलाता बचपन,
 देखू कहा,अब तू बता, ऐ मन,ढूंढ़ता हरदम दीखता है ,

मंज़िल ऐ सफर ,न कोई फ़िक्र ,
वो पल-वो कल ,
वो साथ अपनों का, ढुंढू तो भी अब कहा मिलता है, 

वक़्त की कीमत का उस समय एहसास न था,
आज कोडी-कोडी कमाने के लिए कोई मुझमे हर दम मिलता है,

चहेरे पे ढुंढू कहा वो हस्सी अपने बचपन की  ,
अब तो मुस्कुराने में भी मन को सूनापन लगता है ,

जीने को ज़िन्दगी तो बहुत लम्बी दी, ऐ खुदा ,
पर सबसे बेहतर जीने में बचपन लगता है। 




one of my best creations
dedicated, 
Nishit Yogendra Lodha

Saturday 27 February 2016

याद आती है

                 याद आती है 

तन्हाई में जीते है हम, तो दिल में अब चेन कहा ,
आँखे खुल जाये कही तो सपनो से सजी वो नींद कहा ,

युही ज़ी जलाते है मेरा सुबह हवा के ठंडे  झोंके ,
अब खो गयी मोहबत तो गुनगुनाते वो गीत कहा ,

जब इश्क़ एक मुश्किल इम्तेहाँ लगती थी पहले ,
अब उस मोहबत के बिन जीए ये दिल कहा,

अब कहा वफ़ा करने वाले मिलते है इस सफर में ,
मिले कही वो अगर तोह उस हसीन सा कोई है कहा,

अब तो धड़कने से भी डरता है ये दिल,
इस दिल में उस दिलबर का घर है कहा ,

 दुनिया अब सुनसान है रेगिस्तान की तरह ,
पहले वाली यादों की अब वो हसीन महफ़िल कहा.

निशित लोढ़ा 

Thursday 25 February 2016

ये नज़ारे

ये नज़ारे
आसमान को ताकता ढूंढता में वो एक तारा,
न जाने कहा छुप बेहटा बादलो के बीच कही तो मुस्कुरा रहा है,
वो पंछी हर राह मुड़ता कही अपना रास्ता बना हवाओ के बीच चलता अपने घर उड़ता चला जा रहा है,
देखती नज़रे जहा दूर कही चलती दुनिया को,
अपनी मंज़िल की और बढ़ता जैसे कोई उन्हें जल्द अपने पास बुला रहा है,
बेहटा में कही गुनगुनाता देखता उन् नज़ारो को हलके हलके यादों के संग एक बात दिल में कही छुपाये ,
हाय मुस्कुरा रहा है,
देखो शायद मुस्कुरा रहा है।😊
कवि एव पत्रकार-
निशित लोढ़ा😊🙏

Wednesday 24 February 2016

वो यादें

                वो यादें 

उनसे बिछड़े मुझे एक ज़माना बीत गया,
याद में उनके रहते एक अफ़साना बीत गया,
किताबो के पन्नें पलट गए हज़ार ज़िन्दगी के ,
पर साथ छूटे उनका मेरा ऐसा जैसे संसार मेरा वीराना बीत गया,

लिखी कहानी जो उन् हज़ार पन्नो पे वो शायद जमाना बीत गया,
पिके बेहटा हु अपने आप में कही  .
याद में उनके रहता आज भी वो अफ़साना बीत गया ,
शायद ज़िन्दगी का एक पल और जैसा उनका दीवाना सा बीत गया।


निशित लोढ़ा 

Tuesday 9 February 2016

ऐ उम्र !

ऐ उम्र !
कुछ कहा मैंने,
पर शायद तूने सुना नहीँ..
तू छीन सकती है बचपन मेरा,
पर बचपना नहीं..!!
हर बात का कोई जवाब नही होता
हर इश्क का नाम खराब नही होता...
यु तो झूम लेते है नशेमें पीनेवाले
मगर हर नशे का नाम शराब नही होता...
खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते है
हंसती आखों में भी जख्म गहरे होते है
जिनसे अक्सर रुठ जाते है हम,
असल में उनसे ही रिश्ते गहरे होते है..
किसी ने खुदासे दुआ मांगी
दुआ में अपनी मौत मांगी,
खुदा ने कहा, मौत तो तुझे दे दु मगर,
उसे क्या कहु जिसने तेरी जिंदगी की दुआ मांगी...
हर इंन्सान का दिल बुरा नही होता
हर एक इन्सान बुरा नही होता
बुझ जाते है दीये कभी तेल की कमी से....
हर बार कुसुर हवा का नही होता !!!
- गुलजार

हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा

हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा

  हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा

किससे पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ बरसों से
हर जगह ढूँढता फिरता है मुझे घर मेरा

एक से हो गए मौसमों के चेहरे सारे
मेरी आँखों से कहीं खो गया मंज़र मेरा

मुद्दतें बीत गईं ख़्वाब सुहाना देखे
जागता रहता है हर नींद में बिस्तर मेरा

आईना देखके निकला था मैं घर से बाहर
आज तक हाथ में महफ़ूज़ है पत्थर मेरा