याद आती है
आँखे खुल जाये कही तो सपनो से सजी वो नींद कहा ,
युही ज़ी जलाते है मेरा सुबह हवा के ठंडे झोंके ,
अब खो गयी मोहबत तो गुनगुनाते वो गीत कहा ,
जब इश्क़ एक मुश्किल इम्तेहाँ लगती थी पहले ,
अब उस मोहबत के बिन जीए ये दिल कहा,
अब कहा वफ़ा करने वाले मिलते है इस सफर में ,
मिले कही वो अगर तोह उस हसीन सा कोई है कहा,
अब तो धड़कने से भी डरता है ये दिल,
इस दिल में उस दिलबर का घर है कहा ,
दुनिया अब सुनसान है रेगिस्तान की तरह ,
पहले वाली यादों की अब वो हसीन महफ़िल कहा.
निशित लोढ़ा
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