Saturday 27 February 2016

याद आती है

                 याद आती है 

तन्हाई में जीते है हम, तो दिल में अब चेन कहा ,
आँखे खुल जाये कही तो सपनो से सजी वो नींद कहा ,

युही ज़ी जलाते है मेरा सुबह हवा के ठंडे  झोंके ,
अब खो गयी मोहबत तो गुनगुनाते वो गीत कहा ,

जब इश्क़ एक मुश्किल इम्तेहाँ लगती थी पहले ,
अब उस मोहबत के बिन जीए ये दिल कहा,

अब कहा वफ़ा करने वाले मिलते है इस सफर में ,
मिले कही वो अगर तोह उस हसीन सा कोई है कहा,

अब तो धड़कने से भी डरता है ये दिल,
इस दिल में उस दिलबर का घर है कहा ,

 दुनिया अब सुनसान है रेगिस्तान की तरह ,
पहले वाली यादों की अब वो हसीन महफ़िल कहा.

निशित लोढ़ा 

No comments:

Post a Comment