Thursday 31 March 2016

दिल शायराना होगया

दिल शायराना होगया

मुझे मेरे सपनो में रहने दो,
मेरी हसरतो में जीने दो ,
मुझे मेरे होश में न लाना ,
चलो मुझे थोड़ा और पीने दो,

आशिक़ी का घुट लगा के बेहटा हु ,
मोहबतो का सुर बिठाए बेहटा  हु,
देखो अभी तो सिर्फ ताल जमे है,
साज़ और सरगम में आवाज़ लगाए बेहटा हु।


 निशित लोढ़ा 

ऐ साथी

ऐ साथी  

आसमान का सफर है ,
लम्बी ये डगर है,
चल कुछ कदम साथ चल लेते है कही ,

ज़िंदगी में मुश्किलें है ,
मुस्कराहट भी है हर घड़ी ,
फिर क्यों न बैठ साथ थोड़ा हस् ले कभी,

चाहत है कही, 
मोहबत भी है उनसे  ,
चल आशिक़ी कर लेते है अगर वक़्त मिले युही   ,

फिर साथ ज़िन्दगी का है ,
साँसे और धड़कन है ,
मिले खुलके तो चल जी लेते है फिर अभी .
चल जी लेते है युही।

निशित लोढ़ा 

Monday 28 March 2016

वक़्त कम होगया

  वक़्त कम होगया 

आज कल लिखने को शब्द कम मिलते है ,
शायद दिल का दर्द मेरा कम होगया ,
मिलने को लोग कहा मिलते है ,
शायद वक़्त मिलने का कम होगया ,
अक्सर पाया मैंने खुद को वही ,
जहां लेने को साँसे और जीने को वक़्त कम होगया।

निशित लोढ़ा 

Sunday 27 March 2016

शायरी

शायरी

मुश्किलों से अक्सर हम मिला करते है ,
कोशिश उनसे निकलने की हर वक़्त किया करते है ,
 देखा है ज़िन्दगी में ऐसा दौर भी ,
जिस मोड़ पे हम मर के जीते ,और जी के मरा करते है।

लाख कोशिश कर लो मुझे हराने की ,
में जीत के निकलुंगा मैंने ठानी है ,
कोशिश करुगा हर वक़्त में चाहे वक़्त ही न हो मेरा ,
साँसे लेता रहूगा शायद यही ज़िंदगानी है।

निशित लोढ़ा 

Saturday 26 March 2016

जाने कैसा राज़ है

जाने कैसा राज़ है

एक बात होटों पे है जो आई नहीं ,
बस आँखों से है झाकती ,
तुमसे कभी ,मुझसे कभी ,
कुछ लफ्ज़ है वो मांगती ,
जिनको पहेन के होटों तक आजाये वो, 
आवाज़ की बाहों में बाहें दाल इठलाये वो,
लेकिन जो ये एक बात है ,
एहसास ही एहसास है ,
खुशबू सी है जैसे हवा में तैरती ,
खुशबू जो की आवाज़ है,
जिसका पता तुमको भी है,
 जिसकी खबर मुझको भी है,
दुनिया से भी छुपता नहीं ,
ये जाने कैसा राज़ है। 

जावेद अख्तर 
 

Thursday 24 March 2016

में हु थोड़ा उनमे थोड़े मुझमें

में हु थोड़ा उनमे थोड़े मुझमें 

छूटे न छूटे ऐसा रिश्ता बन जाये उनसे ,
दुनिया छोड़ जाये पर वो न दूर जाये मुझसे ,

कहे दू उनसे वो क्या है मेरा लिए ,
या बन जाऊ अंजान हमेशा के लिए उनसे,

 संग चलू उनके हाथों में हाथ कही,
या चल दू मुसाफिर बन ,कि रहे न जाऊ खुदमे , 

लिखू कहानी बीतें पल की संग कही ,
या जी लू ज़िन्दगी थोड़ा उनमे थोड़ा मुझमे ,

कहा हु में अब समझ नहीं आता याद में उनके ,
बस लेता हु साँसे ,धड़कन में थोड़ा उनके थोड़ा मुझमे। 
 

Sunday 20 March 2016

मुझमे मेरी ज़िन्दगी

                   मुझमे मेरी ज़िन्दगी 
मन करता है ,
पानी बेह जाये मेरे बीती ज़िन्दगी के लिखे पन्नो पे ,
नयी दास्तान लिखना चाहुगा फिर वही ,
क्या करू ज़िन्दगी तुझे फिर लिखने का मन करता है,

सूना था की सागर के दो किनारे होते है,
कुछ लोग जीवन में बहुत प्यारे  होते है ,
 ज़र्रुरी नहीं कि हर कोई पास रहे आपके,
क्यूंकि ज़िन्दगी में यादों के भी सहारे होते है,

समझा में बस फिर इतना ही की ये ज़िन्दगी ,
मोहबत नहीं जो बिखर जाएगी ,
ज़िन्दगी वो जुल्फ नहीं जो सवर जाएगी ,
बस थामे रखो हाथ इसका ,
क्यूंकि यह ज़िन्दगी जो गुज़री फिर लौट के न आएगी,

निशित लोढ़ा

Saturday 19 March 2016

आपकी बहुत याद है आती

आपकी बहुत याद है आती

आपकी बहुत याद आती है ,
साथ आपका ,बातें आपकी,मुस्कान हो या चाहत आपकी,
सब दिल में है, कुछ कहती और चली जाती ,
शायद इसे आपकी बहुत याद है आती,

बोले अलफाज़ और बीतें हर साज़ मेरा पास है जैसे साथी ,
न जाने क्यों हर दम-हर वक़्त मुझसे बहुत कुछ ये बातें कहे जाती,
मन में है सवाल कही ,उसके जवाब ढूंढे कहा ऐ जनाब बन साथी,
कहु खुदसे बस यही कि दिल में आपकी बहुत याद है आती,

ढूंढा कहा नही आपको मैंने ,पाया खुद में ही ऐ साथी ,
जैसे जलती मेरे-आपके बीच कोई दीपक बन बाती ,
आस्मां में अँधेरा कहा तारों का है सहारा देख पंथी ,
आँखो में है राहें कही ,पर ढूंढो में रास्तें अनकहे पहुंचे आप तक ऐ हमराही,
देख ले खुद में मुझको कही ,
में तो कहता हु खुद से बस यही, की बस आपकी बहुत याद है आती,
आपकी बहुत याद है आती।


निशित लोढ़ा
KAVISHAYARI.BLOGSPOT.IN

Thursday 17 March 2016

कौन हो तुम

         कौन हो तुम

लफ्ज़ कम पद गए बया करने को ,
जब आँखो में उनकी याद आगई  ,
दिल रूठ गया खुदसे,जब यादों में वो बात आगई,
बस ज़िन्दगी से एक ख्वाइश सी होगयी,
की दिल को बस तू चाइये,
और बस देखते ही देखते फिर वो मेरा साथ आगई। 

वक़्त

                             वक़्त 

कोई मुझे वक़्त दे देता, तो उनसे थोड़ी बात कर लेता ,
अपने बीते हर पल को  उनके साथ कर देता,
बस याद कर लेता उन्हें में अपनी यादें बना कर,
फिर थोड़ा वक़्त मिल जाता तो शायद उनके साथ चल देता।

Saturday 12 March 2016

वो समुन्दर भी बहुत रोता है

      वो समुन्दर भी बहुत रोता है


समझ गया एक दिन समुन्दर,तू भी कितना रोता है,
खारा है तू खुद में कितना ,
शायद इंसान से ज्यादा तू दिल ही दिल रोता है,

पाया क्या तूने जो खोया होगा,
की तू खुद में इतना खोता है,
समझ गया एक दिन की समुन्दर तू भी बहुत रोता है,

मन में न दर्द रखता दिल में न द्वेश ,
क्यों हर मायूस-हारा इंसान तेरे पास किनारे होता है,
अकेला महसूस किया जब किसी ने,
तो मिटटी या पत्थर पर सोता है,
लेकिन समुन्दर वो अकेला कहा, वो तो तेरे पास होता है ,

जब किनारे ले मेहबूब कोई अपनी होता है,
हाथ में हाथ लिए साथ, कही कोई सपने जोता है,
ऐ समुन्दर तू भी देख उन्हें बहुत कही रोता है,

दिल पे न लेना कोई अपने ,बिन बोले भी कोई रोता है,
देख कभी समुन्दर की लेहरे समझ लेना ,की समुन्दर भी बहुत रोता है,
 वो समुन्दर भी बहुत रोता है । 




बेवफा दिल

              बेवफा दिल 

बेवफा ज़िन्दगी में किसी अजनबी से प्यार हो गया ,
मोहबत हुई उनसे इस कदर की ऐतबार हो गया ,
सुना था दुनिया में अक्सर की ये प्यार क्या है ,
किया जब दिल ने, मुझसे पूछो की ये बला क्या है,
मिले जब दिल कही उनसे तब लगा सदियों के फासले है ,
दिल के दिल से जुड़े कही तो कुछ फैसले है,
चाहा था क्या दिल ने और मिला क्या,
शायद उनके मेरे बीच यही सिलसिले है ,
यकीन था इस दिल में की हम इस जहान में मिलेंगे ,
मिला कुछ तो सही तो हम एक राह संग चलेंगे ,
जो चाहा  इस दिल ने वो फिर कहा मिला ,
बेवफा ही था यह दिल जो फिर गला ,
इस ज़िन्दगी में फिर दर्द के सेवा कहा कुछ मिला ,
बस फिर चला था ये दिल ढूंढा फिर भी कहा कोई उनसा मिला ,
अधूरा था रहे गया , शायद यही था उनके और मेरा प्यार में।

निशित लोढ़ा




Monday 7 March 2016

वो माँ है

          वो माँ है 
आँखों में छुपी हमारी हर ख़ुशी ,
हर मुस्कराहट का राज़ है तो वो माँ है,
गम हो की दुख़,दर्द ही क्यों न हो दिल मे ,
उस दर्द में छुपे हर सवाल का जवाब है तो वो माँ है,
दुखाये दिल जब ये दुनिया कही हर मुकाम पे,
संभाल मुझे समझाने वाली वो है तो वो अपनी माँ है,
आंसू आए जहाँ चहेरे पर जब कभी ,
हाथ आँचल संभाले आये वो साथ मेरी माँ है,
ये मुस्कान, ये हँसी, चहेरे पे जो हरदम दिखे,दुनिया की तब्दील मुश्किलों के बावजूद उस मुस्कराहट का राज़ है तो वो माँ है,
माँ शब्द है समुन्दर से गहरा ,
ममता का वो सागर है,जिसके बिना शायद ये कायनात अधूरा है,
कैसे लिख दे कोई कवी बन अपनी माँ की ममता की कहानी,
शायद इसलिए हर माँ की कविता का प्रेम लिखता कोई हम कवी तो सच कहता हु की लिखा हर शब्द अपनी माँ के लिए अधूरा है।
मेरी ये कविता हर माँ को समर्पित,🙏
अपनी माँ कविता लोढ़ा के जन्मदिन पर।
कवि-निशित लोढ़ा🙏

Thursday 3 March 2016

आंसू तेरी भी रही होगी कोई कहानी कही

आंसू तेरी भी रही होगी कोई कहानी कही 

सोचता हु कभी-कभी में, की ऐ आंसू ,
 तेरी भी तो रही होगी कोई कहानी कही ,

दुःख में सुख में आ जाता है तू हर घड़ी ,
फिर जर्रूर तेरी भी रही होगी कोई कहानी सही ,

 ये मन उदास हुआ जब कभी ,
तो क्यों आ जाता है मुख पे तू आंसू वही, 
शायद तेरी भी रही होगी अधूरी कहानी कही  ,

लगता है मुझे कभी-कभी ,
की तुझे छोड़ न गया हो अकेला इस जहान में कोई कही, 
तभी तो रह गयी होगी तेरी वो कहानी अधूरी वही ,

फिर सोचता है ये मन जब कभी ,
कि ख़ुशी के पल में भी आँखो से है झलकता है तू हर कही,
शायद ज़िन्दगी में मुस्कान तेरे रही होगी हर सदी ,
फिर क्यों रही होगी वो कहानी अधूरी तेरी भी कही ,

आशा की ज़िन्दगी जीता है तू अनकही  ,
 आंसू तू गम-ख़ुशी के हर घूट पीता है जब कभी ,
तभी तो तेरी भी रही होगी कोई कहानी सही,

अलाह,भगवन,ईसा मसीहा को याद किया भी होगा तूने जब कभी ,
देखा तुझे हर चहेरे पे मैंने अंतर मन से वही,
बस सोचा इस दिल में यही,
 की आंसू तेरी भी रही होगी कोई कहानी सही,
शायद होगी तेरी भी कोई कहानी कही.

निशित लोढ़ा