आंसू तेरी भी रही होगी कोई कहानी कही
निशित लोढ़ा
सोचता हु कभी-कभी में, की ऐ आंसू ,
तेरी भी तो रही होगी कोई कहानी कही ,
दुःख में सुख में आ जाता है तू हर घड़ी ,
फिर जर्रूर तेरी भी रही होगी कोई कहानी सही ,
ये मन उदास हुआ जब कभी ,
तो क्यों आ जाता है मुख पे तू आंसू वही,
शायद तेरी भी रही होगी अधूरी कहानी कही ,
लगता है मुझे कभी-कभी ,
की तुझे छोड़ न गया हो अकेला इस जहान में कोई कही,
तभी तो रह गयी होगी तेरी वो कहानी अधूरी वही ,
फिर सोचता है ये मन जब कभी ,
कि ख़ुशी के पल में भी आँखो से है झलकता है तू हर कही,
शायद ज़िन्दगी में मुस्कान तेरे रही होगी हर सदी ,
फिर क्यों रही होगी वो कहानी अधूरी तेरी भी कही ,
आशा की ज़िन्दगी जीता है तू अनकही ,
आंसू तू गम-ख़ुशी के हर घूट पीता है जब कभी ,
तभी तो तेरी भी रही होगी कोई कहानी सही,
अलाह,भगवन,ईसा मसीहा को याद किया भी होगा तूने जब कभी ,
देखा तुझे हर चहेरे पे मैंने अंतर मन से वही,
बस सोचा इस दिल में यही,
की आंसू तेरी भी रही होगी कोई कहानी सही,
की आंसू तेरी भी रही होगी कोई कहानी सही,
शायद होगी तेरी भी कोई कहानी कही.
निशित लोढ़ा
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