Sunday 20 March 2016

मुझमे मेरी ज़िन्दगी

                   मुझमे मेरी ज़िन्दगी 
मन करता है ,
पानी बेह जाये मेरे बीती ज़िन्दगी के लिखे पन्नो पे ,
नयी दास्तान लिखना चाहुगा फिर वही ,
क्या करू ज़िन्दगी तुझे फिर लिखने का मन करता है,

सूना था की सागर के दो किनारे होते है,
कुछ लोग जीवन में बहुत प्यारे  होते है ,
 ज़र्रुरी नहीं कि हर कोई पास रहे आपके,
क्यूंकि ज़िन्दगी में यादों के भी सहारे होते है,

समझा में बस फिर इतना ही की ये ज़िन्दगी ,
मोहबत नहीं जो बिखर जाएगी ,
ज़िन्दगी वो जुल्फ नहीं जो सवर जाएगी ,
बस थामे रखो हाथ इसका ,
क्यूंकि यह ज़िन्दगी जो गुज़री फिर लौट के न आएगी,

निशित लोढ़ा

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