वक़्त कम होगया
आज कल लिखने को शब्द कम मिलते है ,
शायद दिल का दर्द मेरा कम होगया ,
मिलने को लोग कहा मिलते है ,
शायद वक़्त मिलने का कम होगया ,
अक्सर पाया मैंने खुद को वही ,
जहां लेने को साँसे और जीने को वक़्त कम होगया।
निशित लोढ़ा
आज कल लिखने को शब्द कम मिलते है ,
शायद दिल का दर्द मेरा कम होगया ,
मिलने को लोग कहा मिलते है ,
शायद वक़्त मिलने का कम होगया ,
अक्सर पाया मैंने खुद को वही ,
जहां लेने को साँसे और जीने को वक़्त कम होगया।
निशित लोढ़ा
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