मोहबत के दो लफ्ज़
मन में एक आरज़ू थी की वो मेरा दीदार करे ,
में देर से जाऊ तो वो मेरा इंतज़ार करे ,
में जुल्फ सवारू अपने हातों से ,
तो मुस्कुराए और शर्मा मेरी मोहबत का इकरार करे
मन में एक आरज़ू थी की वो मेरा दीदार करे ,
में देर से जाऊ तो वो मेरा इंतज़ार करे ,
में जुल्फ सवारू अपने हातों से ,
तो मुस्कुराए और शर्मा मेरी मोहबत का इकरार करे
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