ज़िन्दगी
तरजीह क्यों हर पहल पे ,रास्तों में ये घुमाव क्यों ,
हर तरफ जहां सवाल है ,वहां तेरा भूचाल क्यों ,
ऐ ज़िन्दगी तुझसे आशा है ,तो मन में ये बवाल क्यों ,
क्यों मुश्किल है मेरा फैसला लेना ,जब जीने का जवाब तुम ,
धड़कन धड़कती है दिल कि,पर साँसों में हो जैसे ख्याल तुम,
ज़िन्दगी तुम हस्सी हो मुस्कराहट हो तुम जीने की चाहत हो ,
पर तुम ज़िंदा हो मुझमे जैसे खुदमे अफ़राद हो ,
जीने का नाम है ज़िन्दगी ,मुमकिन हर राह में फिराक है ज़िन्दगी ,
फिर क्यों है मुझमे जैसे कोई अफसाद है ज़िन्दगी ,
आशा की किरण दिखी जहां, वहां मेरी कहानी का जवाब है ज़िन्दगी ,
लिखे तकते मैंने हज़ार ,पर मुस्कराहट है जैसे जहान है ,ऐ ज़िन्दगी।
कवी निशित लोढ़ा
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