में हु
मोहबत जब अपनी बया न कर सका ,
हस्ता क्यों न में रोता जार-जार हु,
पलकों से अश्क न रुके ,
देख आंसू भी बेक़रार हु ,
वो बुझती शमा भी है तो क्या ,
में जीता बेक़रार हु ,
दिल में है तो नाम बस उनका ,
में पीता बेशुमार हु ,
मेरी मोहबत को न नापना ,
में उनकी यादों का शिकार हु,
मुस्कराहट है तो बस उनसे ,
में जीया बेक़रार हु,
आँचल संभालने रखना अपना ऐ हमनवा ,
में बढ़ता हर कदम जैसे रेहगुजार हु,
लिख लु में हर बात उनकी ,
में उनकी यादों में फरार हु,
बस अब जीना दो मुझे ,
में जो हु उन साँसों की गुहार हु।
कवी निशित लोढ़ा
मोहबत जब अपनी बया न कर सका ,
हस्ता क्यों न में रोता जार-जार हु,
पलकों से अश्क न रुके ,
देख आंसू भी बेक़रार हु ,
वो बुझती शमा भी है तो क्या ,
में जीता बेक़रार हु ,
दिल में है तो नाम बस उनका ,
में पीता बेशुमार हु ,
मेरी मोहबत को न नापना ,
में उनकी यादों का शिकार हु,
मुस्कराहट है तो बस उनसे ,
में जीया बेक़रार हु,
आँचल संभालने रखना अपना ऐ हमनवा ,
में बढ़ता हर कदम जैसे रेहगुजार हु,
लिख लु में हर बात उनकी ,
में उनकी यादों में फरार हु,
बस अब जीना दो मुझे ,
में जो हु उन साँसों की गुहार हु।
कवी निशित लोढ़ा
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