ग़र दिल तुम्हारा इतनी इनायत नहीं करता !
बे-ख़ौफ़ हो के मैं भी मौहब्बत नहीं करता !
इस दिल ने तो चाह है तुम्हे टूट के फिर भी ।
किस दिल से कहा तुमने मोहब्बत नहीं करता ।
ये ख़ास करम मुझपे किया होता न अए-दोस्त ।
दिल टूटने की तुमसे शिकायत नहीं करता ।
गर तुम हसीं न होते गर मैं जवाँ न होता ।
ख्वाबों मैं ला के तुमसे शरारत नही करता ।
इक़ प्यार के सिवाये ज़माने मैं अए - सनम ।
कुछ भी तो बिन तुम्हारी इजाज़त नहीं करता ।
मैं तो हूँ मेरे दोस्त मोहब्बत का बादशाह ।
नफ़रत भरे दिलों पे हुकूमत नहीं करता !
दिल को झुका के यार के सजदे किये तो हैं ।
किसने कहा मैं इबादत नहीं करता ।