लबो पे मेरे एक नाम आगया
लबो पे मेरे नाम सा छा गया,
हुस्न की तारीफ क्या करू,
उनका चहेरा मेरी आँखों में समा गया,
मेरे दिन कि कहानी कहा से शुरू करू,
मेरा सवेरा उनकी याद बन आगया,
वक़्त न जाने कैसे कटता,
मेरा तो वक़्त उन्ही से शुरू और उन्ही पे ठहरा गया,
किस्से तो बहुत है ज़िन्दगी तेरे,
पर दिल तो बस उनकी बातों में आगया,
कैसे कहे दू कोई बात पुरानी,
मेरे तो हर शब्द में उनका नाम आगया,
कोशिश तो कि थी बहुत उन्हें भुलाने कि,
पर देखा तो दिल-दिमाग भी प्यार में उनके सब गवा गया,
बैठा कही में ,मंद-मंद मुस्कुरा रहा था,
बस फिर वही लबो पे मेरे उनका नाम आगया ।
निशित लोढ़ा