लिख दी-
ज़िन्दगी की कहानी अपनी,हमने बतौर एक पन्ने लिख दी,
मोहबत की दास्ताँ पूछे ,तो कहे हमने लफ्ज़ हज़ार मुँह जबानी लिख दी,
मत पूछो इस दिल का हाल,हमने तो दीवाने की दीवानगी लिख दी,
वो मुस्कुराये देख हमे,हमने शर्माती पलकों की जवानी लिख दी,
इस पल की नाराज़गी उनकी आँखों के अश्को ने बया की,हमने तो मुस्कराहट से उनके चहेरे पे लाली लिख दी,
आज एक लम्हा फिर इश्क़ का दिल से हो चला,हमने तो अपने कलम से ये कहानी फिर लिख दी।
लेख-
निशित लोढा
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