Saturday 24 June 2017

कुछ शब्दों में कहु माफ़ करना

 माफ़ करना

कुछ कहे कभी दिल दुखाया तो माफ़ करना ,
दर्द दिल को कभी पहुंचाया तो माफ़ करना ,

हसरत तो नहीं हमारी , देने को कोई गम की ,
पर आँखों को कभी रुलाया तो माफ़ करना ,

 बोल जाते है कुछ शब्द आग़ोश में ,
उन् शब्दों को दिल से लगाया तो माफ़ करना ,

अरमान बहुत है रब तुझसे ,इबादत करना ,
 उस वक़्त में गुस्ताख़ ऐ दिल आज़माया तो माफ़ करना ,

मुमकिन नहीं मिलना हर चाह ज़िन्दगी की,
पर कोशिश ही न करू में, तो खुदा तू माफ़ करना ,

नूर बसा है इन आंखों में उनके नाम का ,
उन्हें भुला न पाऊं ऐ ज़िन्दगी तो माफ़ करना,

यादों में रहोगे तुम ये बात याद रखना,
कभी मिल न पाऊ में फिर अगर तो खुदगर्ज़ ही सही माफ़ करना।

निशित लोढ़ा

Friday 9 June 2017

एक राह अक्सर चलोगे

एक राह अक्सर चलोगे

मिले न मिले तुम याद अक्सर करोगे,
हम गुमसुम बैठे अगर तुम बात अक्सर करोगे ,

नुमाइश होगी कुछ अगर पूछ लेना हमसे ,
हमारी याद आये तो तुम बात अक्सर करोगे,

ज़िन्दगी की पहल भी अजीब है,
जीने की राह मिल जाये तो तुम साथ अक्सर चलोगे,

तुम्हे नहीं पता नाम हमारा ,
तुम बिन नाम के भी याद अक्सर करोगे ,

कभी भूल जाऊ रास्तें या चहेरे कही,
तुम यादों में आकर साथ अक्सर चलोगे,

मुझे नहीं पता ये मौत कब गले लगा ले,
तुम ढूंढ लेना मुझे ,लगेगा की जीने को साथ अक्सर चलोगे.


निशित लोढ़ा