इंतज़ार ऐ इश्क़
बेमतलब की हमसे, हमारी रज़ा न पूछो ,
हम दर्द अपना अब किसे बतायेगे ,
जो ज़ख्म दिए है ,दिल पे ,
उस पे हम ,अब बताओ मर्ज़ कैसे लगाएंगे,
वो अश्क़ जो बहा नज़रो से,
वो दर्द अपना,सबसे अब कैसे छुपाएगे,
मेहखानो में जो रहते है हम,
अपने घर को अब कैसे जाएगे ,
ये जगह कैसी ली है ,तूने इस दिल में,
अब सांस हम कैसे ले पाएगे ,
दर्द तो अब भी है तेरे जाने का,
एक दफा आ कर , हाल तो पूछ ,
की तेरे बिना, अब भी हम कैसे जी पाएगे।।
निश

बेमतलब की हमसे, हमारी रज़ा न पूछो ,
हम दर्द अपना अब किसे बतायेगे ,
जो ज़ख्म दिए है ,दिल पे ,
उस पे हम ,अब बताओ मर्ज़ कैसे लगाएंगे,
वो अश्क़ जो बहा नज़रो से,
वो दर्द अपना,सबसे अब कैसे छुपाएगे,
मेहखानो में जो रहते है हम,
अपने घर को अब कैसे जाएगे ,
ये जगह कैसी ली है ,तूने इस दिल में,
अब सांस हम कैसे ले पाएगे ,
दर्द तो अब भी है तेरे जाने का,
एक दफा आ कर , हाल तो पूछ ,
की तेरे बिना, अब भी हम कैसे जी पाएगे।।
निश