KAVI SHAYAR (Nishit Lodha)
ये शब्दों के सौदागर
Tuesday, 5 January 2016
सैलाब
सैलाब
तड़पता है दिल ,ऐ साथी ,
जो तीर तीखे नुकीले निकले तेरी ज़ुबान से
दो प्यार के बोल , पे तेरे
लूटा दिया हमने अपना जहान यह
फिर कब समझोगे, ऐ हमसफर
मेरी मंद मुस्कुराहट को
छिपा जाती है जो,
आँसुओं के सैलाब को
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment