KAVI SHAYAR (Nishit Lodha)
ये शब्दों के सौदागर
Saturday, 2 January 2016
यादें
यादें
यादों के सहारे ज़िन्दगी काटना अब मुश्किल लगता है,
पीते हुए मुझे गम भूलना न जाने बड़ा मुश्किल लगता है,
वाकिफ है सभी महखाने मेरी मौजूदगी से,
पर अब उनकी याद भूलना और उनका सपनो में आना शायद अब मुश्किल लगता है.
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