Wednesday 28 August 2019

इश्क़ के मुसाफिर

इश्क़ के मुसाफिर 


खुली किताब के पन्ने जैसा,
एक कहानी लिखता हूं,

वो स्याही है आंसू से भरी,
जिससे, में ,मेरी रवानी कहता हूं,

दर्द है नासमझी का,
इश्क़ बेशक उसे कहता हूं,

काश समझा पाता उन्हें,
की आज भी उनमे कितना रहता हु,

मेरी कहानी के , किरदार है वो,
मेरे सपनों के सौदागर जैसे,

में मुसाफिर हु ,जिनकी यादों का,
उस मंज़िल के किनारे ,अब भी,
उन्हें याद कर लिखता हूं,

बेशक दूर हो गये मुझसे,
में काफ़िर बन ,जो रहता हूं,

अब पहेचान न पाए ,शायद इस "निश" को वो,
पर में अब भी, उनकी याद में रहता हूं।।

निश

Thursday 15 August 2019

मत पूछो

मत पूछो


अब ज़िकर न करेंगे हम उनका ,
आप हमसे हमारी कैफियत न पूछो ,

इन्तेहां जो ली उन्होंने ,
उस इश्क़ का मज़हब न पूछो ,

दर्द -ऐ- दिलो का, जो हुआ कभी  ,
उस दर्द का ,हमसे यु मर्ज़ न पूछो ,

उनके किरदार, जो है ज़िन्दगी में ,
अब उस कला का,हमसे क़र्ज़ न पूछो ,

मतलब की, इस दुनिया में ,
हमसे हमरा, फ़र्ज़ न पूछो ,

लिख देता हु जो चंद लफ्ज़ दिल के ,
उस मन से उसका मल न पूछो

होती है कहानी सबकी ,
हर लफ्ज़ का मतलब न पूछो ,

ये अलफ़ाज़ ,निकले जो "निश" के,
उन शब्दों ,में छुपा, बस कभी दर्द न पूछो।


निश 

Saturday 3 August 2019

वो क्या बात होगयी

वो क्या बात होगयी


एक अरसा हुआ मिले हुए,
ना जाने कहा वो खो गयी ,
जिसकी मुझे तलाश थी ,
वो आँखों से ओझल होगयी ,
न जाने ,वो क्या बात हो गयी ,

किस्मत में नहीं है मिलना ,
फिर भी क्यों उनसे मोहबत होगयी ,
हमने तो उनसे जो इश्क़ किया,
फिर दूरिया क्यों , एक दूसरे से होगयी ,
न जाने ,वो क्या बात होगयी ,

में इंतज़ार में बेठा था,
वो इंकार में मेरी हो गयी ,
अब न में उनका मर्ज़ रहा ,
फिर वो कैसे मेरा दर्द होगयी ,
न जाने क्या बात होगयी,

अक्सर ढूंढ़ता था उन्हें जहा हर गली ,
हर दिशा में मेरे जैसे एक तस्वीर होगयी ,
धुंदला चूका था जहा उनकी नज़रो में ,
मेरी हर याद उन्ही से होगयी ,
जाने वो क्या बात होगयी ,

शायद जा चुके है वो दूर हमसे ,
पर ये दिल की आदतें मज़बूर होगयी ,
अब न होगी कभी इश्क़ की तलब ,
न जाने क्यों ऐसी बात होगयी,

नहीं जानता क्या सुनते भी होंगे वो ये लफ्ज़ मेरे,
जो दर्द में अर्ज़ मुझसे हो गयी ,
देख न यार अब भी कितना याद है मुझे वो ,
नहीं जानता क्या वो बात होगयी ,

चलो खत्म कर देता हु चंद ये लफ्ज़ मेरे ,
अब आरज़ू कुछ कहने की पूरी हो गयी ,
सिर्फ ये शब्द ही पूरे हुए है मेरे ,
पर ये मोहबत ,ये इश्क़ ,ये प्यार ,
वो तो बस ,मुझे अधूरी हो गयी ,
न जाने क्या बात होगयी।


निश