Saturday 25 May 2019

खुशनसीब हो

खुशनसीब हो

हर सुबह अगर ,तुम्हारे सर पे एक हाथ है,
जो तुम्हे सहेला के उठाता है ,उस उगते सूरज कि किरणों के संग, 
तो मानना कि खुशनसीब हो,

दो वक़्त की रोटी, बिन मांगे थाली में मिल जाती है,आखरी टुकड़ा कहे के तुम्हे, खिला देती है,तुम्हारे इतने ना कहेने के बाद भी,
तो समझना खुशनसीब हो,

इतनी गर्दिशे होती है उनसे,शिकायतें भी बहुत है, पर फिर भी हर ख्वाइश पूरी होजाती है, तो शायद खुशनसीब हो,

आँचल में छुपा के रखती है सबसे,कही नज़र न लग जाये तुमको,ऐसा प्यार अगर मिलता है,तो समझना खुशनसीब हो,

वो डाँटते बहुत है,और नाराज़ होते है हम युही,
न जाने कोनसा स्वार्थ है उनका इसमे,
पर सच कहु तो शायद तुम खुशनसीब हो,

नही मिलता लोगो को ,ऐसा प्यार ज़िन्दगी में,तुम्हें कुछ भी मिल जाये इन् चंद शब्दो मे, 
तो खुदा कसम समझना कि खुशनसीब हो।

"निश"

याद बहुत आते हो

याद बहुत आते हो,


जबसे गए हो आप यू छोड़के,
अनजान रास्तो पे, तब से,न जाने क्यों, आप याद बहुत आते हो,

ज़्यादा समझा तो नही हु दुनियादारी में,
कोशिश करता हु सीखने की,
आपके सीखाई बातों के सहारे,
उस वक़्त आप याद बहुत आते हो,

ठोकरे खा लेता हूं , दर्द भी होता है मुझे,
वो लड़-खड़ाते वक़्त ,जब आप मुझे पकड़ लेते थे उस वक़्त,
उस पल में आप याद बहुत आते हो,

चहेरे तो देखे कहा थे,आप जो थे हाथ थामने को,
 अब चहेरे ले घूमता हु,इन लाखो अनजान चहेरों के बीच,पहचानूँ कैसे,
 उस वक़्त में मुझे आप याद बहुत आते हो,

अकेला हो गया हु बहुत,आपके जाने के बाद,जानता हूं,
देखते होंगे आप भी मुझे,बस ऐसे ही साथ रहना,
 क्योंकि हर पल में आप मुझे याद बहुत आते हो।

"निश"

में अब भी तुम्हे याद हु

में अब भी तुम्हे याद हु


जहा भुला चुके तुम हर बात हमारी ,
उन वादों में कही,क्या में अब भी याद हु ,

जहा टूटा हुआ हु,दिल से में ,
उस दर्द में क्या,में अब भी याद हु ,

बेशक भुला दिया तुमने ,फिर ये याद कैसी,
जिस याद में ज़िक्र किसी और का ,उस याद में क्या में अब भी याद हु,

वो पल बीत गए,वो यादें भी सिमट गयी ,
हर बात वादों की ,कोई बात ऐसी हो ,
कि कही ,
ज़िकर हो जाये कि,में अब भी याद हु ,

लो फिर चले गए अब तुम,
अब इंतज़ार में है फिर हम ,
बता दो न हमे ,कि "निश "नाम से ,क्या में अब भी याद हु।   

" निश "

Thursday 23 May 2019

फिर एक बार रोक लो ना

फिर एक बार रोक लो ना,
चलते कदम थम जाते है,
जब वो मुस्कुराते है,
बेवजह शरमाने वाले ,
फिर हमें रोक लो ना,

वो ख्वाबो में जो आते है,
वो मंद-मंद मुस्कुराते है,
वो पायल की झंकार से,
बेवजह ही सही,अब हमें रोक लो ना,

वो चलते हुए चले जाना,
वो तेरे पीछे मेरा आना,
वो कदमो का थम जाना,
अरे कोई उन्हें रोक लो ना,

वो लबो पे तेरे नाम आना,
वो लफ़्ज़ों में गुनगुनाना,
तुझे देख बस सहेम जाना,
तेरे जाने पर फिर तेरे पीछे आना,
कोई तो हमे रोक लो ना,

शहर से दूर होगये, 
हम मजबूर होगये,
वो जा चुके है जो अब,
मन कहता है,
फिर एक दफा रोक लो ना।

निश

Wednesday 22 May 2019

एक अरसा हुआ

एक अरसा हुआ 

ख्वाबो में खोये ,दिल के ताबूत में,
एक तस्वीर है छुपी हुई ,एक अरसा हुआ,

शायद वो भुला चुके ,आंसू गम के सूखा चुके,
वो बात मन की ,अब याद कहा ,उस बात को अब एक अरसा हुआ,

हमे तो पल पल याद है,उनकी कही हर बात वो ,
वो तो वादें भुला बैठे ,हम भुला न सके ,इस बात को एक अरसा हुआ ,

लो एक साल और बीत गया ,हम अब भी है वहा खड़े ,
किनारो पे बैठे है ,उफ़ ,लगता है शायद फिर एक अरसा हुआ


निश  

Tuesday 21 May 2019

कुछ यादें है


कुछ यादें है 

चंद शब्दो से ज़िक्र कर लेते है,
हम बिन कोई लफ्ज़ के उनकी फ़िक्र कर लेते है,

वो भूल जाते है बातें हमारी,
हम उनकी कही हर बात बेफिक्र सून लेते है,

नुमाइश बहुत है जनाब उनकी,
हम उनकी हर ख्वाइश को बेपरवाह इस दिल मे बुन लेते है,

नज़र में शायद बुरे है अब हम उनके,
पर हमारी मोहबत में नाम अब भी उनका चुन लेते है।

निश 

Monday 20 May 2019

लिख देता हु

लिख देता हु 



तुमसे हुई ये जो मुलाकात ,
कलम कि सियाही के सहारे लिख देता हु ,

ये हुई जो हमारी बात ,
उसे पन्ने के एक तरफ़ा लिख देता हु,

मान  लिया मोहबत तो नहीं है हमसे ,
इश्क़ तो है ,चलो जज़्बात लिख देता हु,

तुम खोये में खोया ,दूर हो ,
चलो ये इंतज़ार लिख देता हु ,

कश्मकश है बड़ी ,तुमसे मिलने की चाह की ,
ऐतबार ही सही ,इंकार तेरा लिख देता हु ,

एक आशिक़ हु ,मेरी आशिकी समझना,
में दर्द ऐ एहसास,फिर एक बार लिख देता हु ,

कोई पल छूट न जाये इस दफा ,
में फिर एक तरफ़ा प्यार अपना लिख देता हु।


निश 

Sunday 19 May 2019

कीमत

कीमत

किस बात कि कीमत लगाते हो,
एक आशिक को क्यों आज़माते हो,

फितूर देखा कभी उसकी मोहबत का,
वो तड़प ,उस दर्द में रुलाते हो,

न आंसू देखे चहेरे पे,न देखे दुख दर्द कही,
एक याद है जो सपनो जैसी,वो याद क्यों दे जाते हो,

कहे दो की नही इश्क़ हमसे,
न हुआ कभी प्यार है, क्यों आंसू छलकते देखा हमने,
क्यों दर्द ऐसा दे जाते हो,

माना कि नही शायर है हम,
पर कोई कहानी ही लिख देते है,
एक बात याद आती है, कि हर रात तुम सपने में आते हो।

निश

Thursday 16 May 2019

मन करता है

मन करता है 

कुछ नग्मे लिखने का मन करता है ,
तेरे संग इस बारिश में, अब भीगने का मन करता है,

हवाओ का रुख तो मुझे मालूम नहीं ,
पर तेरी इन उड़ती ज़ुल्फो में,फिर खोने का दिल करता है,

ये बादल भी अब बिजली खडका उठे ,
शायद तेरी तस्वीर लेने का उसका भी मन करता है ,

अब थाम लिया है ,मेने हाथ जो तेरा ,
अब तुझसे दूर न होने का कोई मन करता है ,

इस दिल की ख्वाइश में बस तू है ,
तो इस दिल को अब कहा रोने का मन करता है ,

चल भीग लेते है इस मौसम में ,
अब जीने को फिर ,थोड़ा मन करता है।

निष्

Thursday 9 May 2019

नहीं आता

नहीं आता 


मोहबत को पेसो से तोलना नहीं आता ,
इश्क़ को लफ्ज़ो से बोलना नहीं आता ,
लिख देता हु अक्सर शायरी में ,
पर अब प्यार में दिल खोलना नहीं आता।  

Saturday 4 May 2019

तेरा ज़िकर कर रहा हु

तेरा ज़िकर कर रहा हु 

अरसे बाद आज कुछ लिख रहा हु,
इसी बहाने चल तेरा ज़िकर कर रहा हु ,

अलफ़ाज़ तो नहीं है  कुछ  कहने और सुनाने को,
पर एक याद है ,चल में लिख रहा हु,
इसी बहाने तेरा ज़िकर कर रहा हु ,

जहा खोया हु में तेरी यादों में ,
तो खोयी है बस अपने सपनो में ,
न तोड़ूगा तेरी ये नींद ,क्यूंकि तू भी है मेरे अपनों में ,
इजाज़त है तुझे जाने कि  ,
कोई बंधन न होगा तुझे ,रोकने को ,
पर एक याद है जो लिख रहा हु ,
इसी बहाने तेरा ज़िकर कर रहा हु ,

अनजान होगी मेरी  मोहबत से ,
मेरी इश्क़ ऐ वफ़ा  का ज़िकर कर रहा हु,
तुझे बेवफा लगूंगा मगर,
में तो आज भी तेरी याद में लिख रहा हु,
इसी बहाने तेरा ज़िकर कर रहा हु ,

भूल चुकी होगी  मुझे,
क्या मालूम में कभी भूल न पाया तुझे,
शायद ये अलफ़ाज़ से वाकिफ न होगी तू ,
पर बस  तेरी याद में ये जो लिख रहा हु ,
इसमें तेरा ही ज़िकर कर रहा हु ,

ये रात का आलम ,ये याद दिलाता है तेरी,
काश वाकिफ होती तू मेरी इस मोहबत से,
एक इलज़ाम के साथ ही लिख रहा हु,
इसी बहाने तेरा ज़िकर कर रहा हु। ... 

निश