Monday 30 March 2020

लफ्ज़ -ऐ-निश १

लफ्ज़ -ऐ-निश १ 

मेरे अल्फ़ाज़  न निकल सके,
इतनी उनसे जज़्बातो के बाद ,
हम अजनबी ही रहे अब भी ,
इतनी मुलाकातों के बाद.

निशित  लोढ़ा 

Wednesday 11 March 2020

मुक़म्मल ऐ ज़िन्दगी


मुकम्मल इतनी भी कहा हुई ज़िन्दगी,
की दर्द अपना चंद पन्नो पे उतार दु,
अभी तो शुरुआत है ऐ-ज़िन्दगी,
चल कुछ पल तेरे और जी कर निकाल दु।।

निश