Saturday 3 August 2019

वो क्या बात होगयी

वो क्या बात होगयी


एक अरसा हुआ मिले हुए,
ना जाने कहा वो खो गयी ,
जिसकी मुझे तलाश थी ,
वो आँखों से ओझल होगयी ,
न जाने ,वो क्या बात हो गयी ,

किस्मत में नहीं है मिलना ,
फिर भी क्यों उनसे मोहबत होगयी ,
हमने तो उनसे जो इश्क़ किया,
फिर दूरिया क्यों , एक दूसरे से होगयी ,
न जाने ,वो क्या बात होगयी ,

में इंतज़ार में बेठा था,
वो इंकार में मेरी हो गयी ,
अब न में उनका मर्ज़ रहा ,
फिर वो कैसे मेरा दर्द होगयी ,
न जाने क्या बात होगयी,

अक्सर ढूंढ़ता था उन्हें जहा हर गली ,
हर दिशा में मेरे जैसे एक तस्वीर होगयी ,
धुंदला चूका था जहा उनकी नज़रो में ,
मेरी हर याद उन्ही से होगयी ,
जाने वो क्या बात होगयी ,

शायद जा चुके है वो दूर हमसे ,
पर ये दिल की आदतें मज़बूर होगयी ,
अब न होगी कभी इश्क़ की तलब ,
न जाने क्यों ऐसी बात होगयी,

नहीं जानता क्या सुनते भी होंगे वो ये लफ्ज़ मेरे,
जो दर्द में अर्ज़ मुझसे हो गयी ,
देख न यार अब भी कितना याद है मुझे वो ,
नहीं जानता क्या वो बात होगयी ,

चलो खत्म कर देता हु चंद ये लफ्ज़ मेरे ,
अब आरज़ू कुछ कहने की पूरी हो गयी ,
सिर्फ ये शब्द ही पूरे हुए है मेरे ,
पर ये मोहबत ,ये इश्क़ ,ये प्यार ,
वो तो बस ,मुझे अधूरी हो गयी ,
न जाने क्या बात होगयी।


निश












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