में हु
में लिखू क्या, में ख्याल हु ,
में हु तो एक सवाल हु,
नाराज़गी तो है तुम्हे ,
में कहु तो माफ़ी ,न कहु , तो इलज़ाम हु ,
में दर्द हु,में मर्ज़ हु ,
हु तो में ,कमाल हु ,
कोई बात है , कहो मुझसे,
कहुँ !!तो बेमिसाल हु,
ये लफ्ज़ बने अलफ़ाज़ मेरे,
मेरे शब्द का में सवाल हु ,
में ज़िन्दगी को निहारता ,
में जीता बन बवाल हु ,
ख्वाइश है कोई ,तो कहना मुझसे ,
में आलम हु,में जवाब हु,
शब्दों का सौदागर समझा जिसने,
में हु तो, जवाब! न समझो तो ख्याल हु।
निश
में लिखू क्या, में ख्याल हु ,
में हु तो एक सवाल हु,
नाराज़गी तो है तुम्हे ,
में कहु तो माफ़ी ,न कहु , तो इलज़ाम हु ,
में दर्द हु,में मर्ज़ हु ,
हु तो में ,कमाल हु ,
कोई बात है , कहो मुझसे,
कहुँ !!तो बेमिसाल हु,
ये लफ्ज़ बने अलफ़ाज़ मेरे,
मेरे शब्द का में सवाल हु ,
में ज़िन्दगी को निहारता ,
में जीता बन बवाल हु ,
ख्वाइश है कोई ,तो कहना मुझसे ,
में आलम हु,में जवाब हु,
शब्दों का सौदागर समझा जिसने,
में हु तो, जवाब! न समझो तो ख्याल हु।
निश