लिख देता हु
तुमसे हुई ये जो मुलाकात ,
कलम कि सियाही के सहारे लिख देता हु ,
ये हुई जो हमारी बात ,
उसे पन्ने के एक तरफ़ा लिख देता हु,
मान लिया मोहबत तो नहीं है हमसे ,
इश्क़ तो है ,चलो जज़्बात लिख देता हु,
तुम खोये में खोया ,दूर हो ,
चलो ये इंतज़ार लिख देता हु ,
कश्मकश है बड़ी ,तुमसे मिलने की चाह की ,
ऐतबार ही सही ,इंकार तेरा लिख देता हु ,
एक आशिक़ हु ,मेरी आशिकी समझना,
में दर्द ऐ एहसास,फिर एक बार लिख देता हु ,
कोई पल छूट न जाये इस दफा ,
में फिर एक तरफ़ा प्यार अपना लिख देता हु।
निश
तुमसे हुई ये जो मुलाकात ,
कलम कि सियाही के सहारे लिख देता हु ,
ये हुई जो हमारी बात ,
उसे पन्ने के एक तरफ़ा लिख देता हु,
मान लिया मोहबत तो नहीं है हमसे ,
इश्क़ तो है ,चलो जज़्बात लिख देता हु,
तुम खोये में खोया ,दूर हो ,
चलो ये इंतज़ार लिख देता हु ,
कश्मकश है बड़ी ,तुमसे मिलने की चाह की ,
ऐतबार ही सही ,इंकार तेरा लिख देता हु ,
एक आशिक़ हु ,मेरी आशिकी समझना,
में दर्द ऐ एहसास,फिर एक बार लिख देता हु ,
कोई पल छूट न जाये इस दफा ,
में फिर एक तरफ़ा प्यार अपना लिख देता हु।
निश
No comments:
Post a Comment