Monday 20 May 2019

लिख देता हु

लिख देता हु 



तुमसे हुई ये जो मुलाकात ,
कलम कि सियाही के सहारे लिख देता हु ,

ये हुई जो हमारी बात ,
उसे पन्ने के एक तरफ़ा लिख देता हु,

मान  लिया मोहबत तो नहीं है हमसे ,
इश्क़ तो है ,चलो जज़्बात लिख देता हु,

तुम खोये में खोया ,दूर हो ,
चलो ये इंतज़ार लिख देता हु ,

कश्मकश है बड़ी ,तुमसे मिलने की चाह की ,
ऐतबार ही सही ,इंकार तेरा लिख देता हु ,

एक आशिक़ हु ,मेरी आशिकी समझना,
में दर्द ऐ एहसास,फिर एक बार लिख देता हु ,

कोई पल छूट न जाये इस दफा ,
में फिर एक तरफ़ा प्यार अपना लिख देता हु।


निश 

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