Saturday 25 May 2019

खुशनसीब हो

खुशनसीब हो

हर सुबह अगर ,तुम्हारे सर पे एक हाथ है,
जो तुम्हे सहेला के उठाता है ,उस उगते सूरज कि किरणों के संग, 
तो मानना कि खुशनसीब हो,

दो वक़्त की रोटी, बिन मांगे थाली में मिल जाती है,आखरी टुकड़ा कहे के तुम्हे, खिला देती है,तुम्हारे इतने ना कहेने के बाद भी,
तो समझना खुशनसीब हो,

इतनी गर्दिशे होती है उनसे,शिकायतें भी बहुत है, पर फिर भी हर ख्वाइश पूरी होजाती है, तो शायद खुशनसीब हो,

आँचल में छुपा के रखती है सबसे,कही नज़र न लग जाये तुमको,ऐसा प्यार अगर मिलता है,तो समझना खुशनसीब हो,

वो डाँटते बहुत है,और नाराज़ होते है हम युही,
न जाने कोनसा स्वार्थ है उनका इसमे,
पर सच कहु तो शायद तुम खुशनसीब हो,

नही मिलता लोगो को ,ऐसा प्यार ज़िन्दगी में,तुम्हें कुछ भी मिल जाये इन् चंद शब्दो मे, 
तो खुदा कसम समझना कि खुशनसीब हो।

"निश"

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