कुछ यादें है
चंद शब्दो से ज़िक्र कर लेते है,
हम बिन कोई लफ्ज़ के उनकी फ़िक्र कर लेते है,
वो भूल जाते है बातें हमारी,
हम उनकी कही हर बात बेफिक्र सून लेते है,
नुमाइश बहुत है जनाब उनकी,
हम उनकी हर ख्वाइश को बेपरवाह इस दिल मे बुन लेते है,
नज़र में शायद बुरे है अब हम उनके,
पर हमारी मोहबत में नाम अब भी उनका चुन लेते है।
निश
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